तालिबान 2.0 के तहत जीवन कैसा है?

 

क्या 'नया' तालिबान 'पुराने' तालिबान से अलग है या सिर्फ़ अलग दिखने का दिखावा कर रहा है?

यह तालिबान के अधीन जीवन है। माता-पिता अपने बच्चों को इस विश्वास में अजनबियों को दे रहे हैं कि वे सुरक्षित रहेंगे।

तालिबान 2.0 के तहत जीवन कैसा है?

तालिबान 2.0 के तहत जीवन कैसा है?


मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि मासूम बच्चों के साथ ऐसा करने से आपको स्वर्ग मिल सकता है। यह हृदयविदारक है। उनका भविष्य, उनका बचपन सब कुछ छीन लिया गया है।

साल 1996 की बात है.

मरियम सफ़ी उस वक़्त 19 साल की थीं. वो अफ़ग़ानिस्तान के मज़ार-ए-शरीफ़ में मेडिकल की पढ़ाई कर रही थीं. अचानक एक ही दिन में उनकी पूरी दुनिया बदल गई. तालिबान ने मज़ार-ए-शरीफ़ पर जब क़ब्ज़ा किया तो उन्हें अपनी पढ़ाई अचानक रोकनी पड़ गई. 

उनके (तालिबान) सत्ता में आने के बाद अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं की शिक्षा पर रोक लगा दी गई थी. महिलाएं घर से अकेले निकलती थीं तो धार्मिक पुलिस उन्हें पीटती थी. उन्हें केवल अपने पिता, भाई और पति के साथ ही घर से बाहर निकलने की इजाज़त थी. 

उस दौरान सार्वजनिक रूप से मृत्यु दंड देने, स्टोनिंग (पत्थरों से मारने की प्रथा) और हाथ-पैर काटने जैसी सज़ा आम बात थी. इस डर और खौफ़ की वजह से मरियम की मेडिकल की पढ़ाई भी थम गई. वो घर में क़ैद हो कर रह गईं. 

लेकिन जब 2001 में अमेरिका के नेतृत्व में नेटो ने अफ़ग़ानिस्तान पर हमला किया और तालिबान को खदेड़ दिया तो मरियम ने अपनी पढ़ाई पूरी की.

बीते रविवार को काबुल में तालिबान के क़ब्ज़े के बाद मरियम की वो यादें एक बार फिर ताज़ा हो गई हैं.

17 अगस्त 2021 की जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया 

तालिबान के प्रवक्ता ने दुनिया से क्या वादे किए

तालिबान 2.0 के तहत जीवन कैसा है?


1- अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ साजिश रचने, हमला करने के लिए नहीं होने दिया जाएगा|

2- किसी भी अंतरराष्ट्रीय दूतावास या संस्था को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे. उनको तालिबान द्वारा ही सुरक्षा दी जाएगी. जबीहुल्ला मुजाहिद  ने कहा, 'काबुल में दूतावासों की सुरक्षा हमारे लिए महत्वपूर्ण है. हम सभी देशों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि हमारे बल सभी दूतावासों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सहायता एजेंसियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौजूद हैं|

3-अफगानिस्‍तान में महिलाओं की आजादी पर उन्‍होंने कहा कि शरिया कानून के तहत वह स्‍वतंत्र होगीं। शरिया कानून के तहत उन्‍हें आजादी और अधिकार प्रदान किए जाएंगे। उन्‍होंने कहा कि महिलाएं स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र और शिक्षा क्षेत्र में काम करने के लिए स्‍वतंत्र होंगी। इसके पहले के तालिबान शासन में महिलाओं को इस तरह के अधिकार नहीं थे।

4- प्रवक्‍ता ने जोर देकर कहा कि किसी भी आतंकवादी संगठन को अफगानिस्‍तान की धरती का इस्‍तेमाल नहीं करने देंगे। उन्‍होंने कहा कि अफगानिस्‍तान की धरती का इस्‍तेमाल किसी भी देश के खिलाफ साजिश रचने या हमला करने में नहीं होने दिया जाएगा। बता दें अफगानिस्‍तान सीमा से सटे हुए भारत समेत दुनिया के कई मुल्‍कों को यह भय सता रहा है कि तालिबान के अस्तित्‍व के बाद सरहद पर आतंकवाद पनप सकता है।

5- प्रवक्‍ता ने कहा कि अफगान सैनिकों के साथ या अफगान सरकार के सदस्‍यों से बदला नहीं लिया जाएगा। तालिबान शासन उन्‍हें माफ करती है। उन्‍होंने कहा कि किसी दूतावास या संस्‍था को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। उनकी पूरी सुरक्षा होगी। अफगानिस्‍तान में कोई किसी का अपहरण नहीं करेगा।

6- देश में मीडिया की आजादी पर उन्‍होंने कहा कि मीडिया को स्‍वतंत्र रूप से काम करने की आजादी होगी। प्रवक्‍ता ने कहा कि देश में काम करने वाले पत्रकारों को अफगानिस्‍तान के मूल्‍यों का पूरा ध्‍यान रखना होगा। हालांकि, मीडिया में महिलाओं के प्रवेश पर वह मौन रहे। इसके पूर्व तालिबान शासन में मीडिया को किसी तरह की आजादी नहीं थी।

7- देश की अर्थव्‍यवस्‍था को सुधारा जाएगा। लोगों के जीवन स्‍तर में सुधार किया जाएगा। तालिबान की पहली प्राथ‍मिकता कानून व्‍यवस्‍था को लागू करने की है, ताकि देश शांति और स्थिरता कायम हो सके। नागरिकों को यह भरोसा दिलाया गया है कि उन्‍हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। प्रवक्‍ता ने जोर देकर कहा कि अशरफ गनी की सरकार किसी को सुरक्षा नहीं प्रदान कर सकी, लेकिन तालिबान सबको सुरक्षा प्रदान करेगा।

तालिबान 2.0 बनाम तालिबान 1.0

साल 1996 और साल 2021 के ऊपर के दो वाक़ये - तब और अब के तालिबान के वो चेहरे हैं जो मज़ार-ए-शरीफ़ और काबुल के हालात को तालिबान शासन के दौरान बयान करते हैं. दोनों में बहुत फ़र्क हो- ऐसा आपको नज़र नहीं आएगा.

लेकिन इन दोनों घटनाओं के बीच तालिबान का एक तीसरा चेहरा भी मंगलवार की देर शाम दुनिया को नज़र आया.

अफ़ग़ानिस्तान पर दोबारा नियंत्रण हासिल करने के बाद तालिबान का पहला संवाददाता सम्मेलन मंगलवार को देर शाम काबुल में आयोजित हुआ.

तालिबान के प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद अपने दो और साथियों के साथ कैमरों के सामने पहली बार आए. स्थानीय भाषा में उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए तालिबान का वो 'उदार' चेहरा दिखाया जो 1996-2001 वाले तालिबान से बिल्कुल अलग था.

जबीहुल्लाह मुजाहिद ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, "हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भरोसा दिलाना चाहते हैं कि उनके साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा. हम यह तय करेंगे कि अफ़ग़ानिस्तान अब संघर्ष का मैदान नहीं रह गया है. हमने उन सभी को माफ़ कर दिया है जिन्होंने हमारे ख़िलाफ़ लड़ाइयां लड़ीं. अब हमारी दुश्मनी ख़त्म हो गई है. हम शरिया व्यवस्था के तहत महिलाओं के हक़ तय करने को प्रतिबद्ध हैं. महिलाएं हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने जा रही हैं."

यानी आज का तालिबान टीवी कैमरे के सामने बात तो महिलाओं को काम करने की छूट और बदला न लेने की कर रहा है, लेकिन ज़मीन पर वो स्थिति दिखाई नहीं पड़ती. इसलिए चर्चा है कि क्या 2021 का तालिबान 1996 वाले तालिबान से काफ़ी अलग है? या ये महज़ एक दिखावा है? या फिर समय की माँग?

क्या तालिबान बदल रहा है?

ये फ़िलहाल पुख़्ता तरीके से नहीं कहा जा सकता है. अब तक हम जो जानते हैं वो ये कि उनकी विचारधारा नहीं बदली है. मंगलवार को भी उन्होंने शरिया क़ानून के मुताबिक़ ही महिलाओं को हक़ देने की बात की.

लेकिन सवाल ज़रूर उठ रहे हैं.

क्या तालिबान इसलिए बदल रहा है क्योंकि 20 साल में अफ़ग़ानिस्तान और दुनिया दोनों बहुत बदल गए हैं? 

अफ़ग़ानिस्तान में अब पहले के मुक़ाबले ज़्यादा लड़कियाँ पढ़ने जा रही है, ज़्यादा महिलाएँ नौकरी कर रही हैं, या तालिबान इन लड़कियों और महिलाओं को बुर्का पहना कर दोबारा घर में बैठने का आदेश पारित करने वाला है? इन सवालों का जवाब कोई नहीं जानता.

दुनिया ने तालिबान की जो भाषा प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंगलवार को सुनी वो एक अलग चेहरा है, लेकिन कुछ रिपोर्टों में यह दावा किया गया है कि तालिबान के मुजाहिदीनों से महिलाओं की ज़बरदस्ती शादी कराई जा रही है.

अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के इस नए शासन के कुछ दिन (कम से कम छह महीने) गुज़र जाने के बाद ही उसके चेहरे पर कुछ ठोस तौर पर कहा जा सकता है. 

इसके लिए पहले उन्हें सत्ता संभाल लेने दीजिए, उनका नेता कौन चुना जाता है? सरकार कैसे काम करती है? क्या वो सऊदी अरब जैसा बनते हैं या यूएई की तरह बनते हैं या अपना अलग रास्ता चुनते हैं? ये सब देखने वाली बात होगी.

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